About the book
श्रीमद्भगवद्गीता धर्मिक ग्रंथों में शिरोमणि ग्रंथ के रूप में विश्व विख्यात है। यह एक ऐसा दिव्य गीत है जो भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन के मध्य युद्धभूमि में हुए संवाद के रूप में संकलित है। इस के 18 अध्यायों के 700 श्लोकों में आया प्रत्येक शब्द ज्ञान-रस से परिपूर्ण है। मधुसूदन भगवान श्री कृष्ण ने इस अनुपम ग्रंथ में अर्जुन के माध्यम से आत्मज्ञान की ऐसी अमृत धारा बहाई है, जिसमें सुस्नात होकर किंकर्तव्य-विमूढ़ता, शोक, मोह, अज्ञानरूपी मल धुल जाते हैं। श्री कृष्ण द्वारा प्रसादित यह अत्युत्तम संदेश युग एवं समय की समस्त सीमाओं को लाँघकर जीवन के हर क्षेत्र में लागू होता है, इसलिए ‘गीता’ संन्यासियों और त्यागियों के लिए तो महत्त्वपूर्ण है ही, यह हर उस साधारण मनुष्य के लिए भी उपयोगी है जिसने जीवन के सुख-दुःख, संयोग-वियोग, लाभ-हानि, जय-पराजय को भोगना है। इस ग्रंथ में परम श्रद्धेय आनन्दमूर्ति गुरुमाँँ ने श्लोकों का संक्षिप्त, लेकिन इतना वैज्ञानिक, तार्किक, सरल व सरस निरूपण किया है कि आधुनिक मनुष्य बहुत सुगमता से इनको आत्मसात् कर पाए। आइए! इस अमूल्य ग्रंथ में संकलित ज्ञानामृत का रसपान करें।