About the book
हमारे श्रेष्ठ ऋषियों-मनीषियों द्वारा दी गई तंत्र की यह अद्भुत विधि न केवल आध्यात्मिक विकास के लिए लाभदायक है, अपितु शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक तल पर गहन विश्राम की अनुभूति भी देती है। निद्रा अर्थात् नींद, साधारण तौर पर निद्रा न केवल बेहोशी देती है, बल्कि मुख्य रूप से यह स्वप्नावस्था के साथ जुड़ी हुई होती है, इसलिए आरामदायक नहीं है। इसके विपरीत योग निद्रा गहन और होशपूर्ण नींद की स्थिति है, इसलिए इसे ‘यौगिक नींद’ भी कहते हैं। तनाव, अनिद्रा और अनेक प्रकार के शारीरिक व मानसिक रोग जो कि आधुनिक परिवेश में जीवन का अभिन्न हिस्सा हो चुके हैं, योग निद्रा का नियमित अभ्यास इन सबसे मुक्ति दिलाने में सहायक है। मानसिक अस्थिरता, मानसिक विक्षेप और मनोदैहिक रोग आज के समय में आम बात है। लोग यह जानते ही नहीं हैं कि अपने ही मन में छिपी हुई असीमित प्रतिभाओं को कैसे पहचाना जा सकता है। इसलिए लोग स्वयं को ही पीड़ा देते हैं और अपने दुःखों के लिए दूसरे लोगों और घटनाओं को ही दोषी ठहराते हैं। योग निद्रा अपने मन को समझने और संस्कारों के दायरे को काटने का एक अवसर प्रदान करती है। इसका मतलब है नींद, पर ऐसी नींद जिसमें आप जाग्रत रहते हैं। यह ऐसी गहन सुषुप्ति है जिसमें आपकी चेतना जाग्रत रहती है।