अगर है ज्ञान को पाना तो गुरु की जा शरण भाई || टेक ||
जटा सिरपे रखाने से भस्म तन में रमाने से
सदा फलफूल खाने से कभी नहि मुक्ति को पाई ||
बने मूरत पुजारी है तीरथ यात्रा पियारी है ||
करे व्रत नेम भारी है भरम मन का मिटे नाहीं
कोटि सूरज शशी तारा करें परकाश मिल सारा
बिना गुरु घोर अंधारा न प्रभु का रूप दर्साई ||
ईश सम जान गुरु देवा लगा तनमन करो सेवा
ब्रम्हानंद मोक्ष पद मेवा मिले भवबँध काट जाई ||