चलो चलो सखियाँ मिल जाइये रे
सत संगत में हरिगुण गाइये रे ॥ टेक ॥
सतसंगत में लाभ घनेरा जन्म जन्म का मिटे अंधेरा ।
परमेश्वर का दर्शन घट में पाइये रे ॥ १ ॥
सतसंगत महिमा अति भारी ऋषि मुनि वेद पुराण पुकारी ।
ज्ञान विवेक विचार सदा मन लाइयेरे ॥ २ ॥
करे हजार जतन जो कोई सतसंगत बिन ज्ञान न होई ।
जप तप संयम साधन सफल कराइये रे ॥ ३ ॥
पापी नीच मूढ़ नर नारी सब सुधरें सतसंगत धारी ।
ब्रम्‍हानंद मनुज तन नाही गमाइये रे ॥ ४ ॥


Chlo chlo sakhiyaan mil jaaiye re
Sat sngat mein hrigaun gaaaiye re ॥ tek ॥
Satsngat mein laabh ghanera janm janm kaa mit andhera .
Prmeshvr kaa drshn ght men paaiye re ॥ 1 ॥
Stsngat mhimaa ati bhaari risi muni ved puraan pukaari .
Gyaan vivek vichaar sdaa man laaiyere ॥ 2 ॥
Kare hjaar jatn jo koee stsngat bin gyaan n hoee .
Jap tap saiym saadhn safal kraaiye re ॥ 3 ॥
Paapi nich murh nar naari sab sudhrein satsngat dhaari .
Bram‍haannd manuj tan naahi gamaaiye re ॥ 4 ॥