हरि भजन करोरे नर नारियां रे
मिटे जनम मरण की खुवारियां रे ॥ टेक ॥
मानुष तन दुर्लभ है भाई । भजन बिना बिरथा चल जाई ।
गया वकत नहि आवे दुजी वारियां रे ॥ १ ॥
बालापन खेलन में जावे जोबन काम कला मन भावे ।
बूढे तन में लागे घणी बीमारियां रे ॥ २ ॥
यह संसार सराय तमाशा मूरख करे भोग की आशा ।
सिरपे काल खडा है करे तैयारियां रे ॥ ३ ॥
सूत दारा धन मीत पियारे कोई न जावे संग तुमारे ।
ब्रम्हानंद जगत की झूठी पारियां रे ॥ ४ ॥
Hari bhajn krore nar naariyaan re
Mite janam maran ki khuvaariyaan re ॥ tek ॥
Maanus tan durlabh hai bhaaee . bhajn binaa birthaa chl jaaee .
Gyaa vakt nhi aave duji vaariyaan re ॥ 1 ॥
Baalaapn kheln mein jaave jobn kaam klaa man bhaave .
Budhe tn men laagae ghani bimaariyaan re ॥ 2 ॥
Yh snsaar sraay tmaashaa murkh kare bhoga ki aashaa .
Sirpe kaal khdaa hai kre taiyaariyaan re ॥ 3 ॥
Sut daaraa dhn mit piyaare koee n jaave sanga tumaare .
Bramhaannd jgat ki jhuthi paariyaan re ॥ 4 ॥