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Anand
आरति कीजै आतम पूजा प्राण पुरुष सो अवर न दूजा ॥ ग्यान प्रकास दीप उजियारा...
आनंद मंगल गाव मोरु सजनी। भयो प्रभात बीत गइ रजनी ॥ १ नाटक चाटक बहु बिधि...
अनहद की धुन प्यारी साधो। आसन पद्म लगाकर कर से कान की बारी रे। झीनी धुन...