मिथ्या माया जाल जगत मन क्योें तू देख भुलाया है । टेक सुमन सुहावन सुंदर फल...

माया मोहिनी मन हरन । भोगियन सब पीस डारे जोगिया बस करन । टेक चंचल चपल...

देखि माया के रूप तिमिर आगे फिरे । भक्ति गई बड़ी दूर जीव कैसे तरे ।...

जारौं मैं या जग की चतुराई। राम भजन नहिं करत बावरे जिन यह जुगति बनाई। टेक...

जैसे श्वान काँच मंदिर में भरमित भूसि मरयो ॥ १  ज्यों केहरि बपु निरखि कूप जल...

अवसर बहुत भलो रे भाई ।  मानुष तन  देवन को दुर्लभ सोई देह तैं  पाई ।...

अवधू माया तजी न जाई । गृह तजके बिस्तर बाँधा बिस्तर तजके फेरी । टेक  काम...