जग सपने की माया साधो जग सपने की माया है ॥
शोच समझ नर दिल अपने में ।
कौन है तुं किस कारण इस दुनियां में । मनुज तन पाया है ॥ टेक ॥
नारी सुत बांधव चेरा है नहि तेरा है नहि मेरा है।
चिड़ियां का रैन बसेरा है ।
अपने अपने कर्मन के वश कोई जावत है कोई आया है ॥ १ ॥
घर मंदिर माल खजाना है । दो दिनका यहां ठहराना है ।
फिर आखिर तुझको जाना है ।
कर अपने करसे शुभ कारज जो परलोक सहाया है ॥ २ ॥
चेहरे की सुंदरताई है थोडे दिनकी रुसनाइ है ।
फिर खाक में ख़ाक मिलाई है ।
दिनदिन छीजत यह काया है ॥ ३ ॥
यह झूठा सब संसारा है माया ने जाल पसारा है ।
क्यों भूला फिरत गवारा है ।
ब्रम्हानंद रूपबिन जाने जन्म मरण भटकाया है ॥
Jag spne ki maayaa saadho jag spne ki maayaa hai ॥
Shoch smjh nar dil apne mein .
Kaun hai tun kis kaarn is duniyaan mein . mnuj tn paayaa hai ॥ tek ॥
Naari sut baandhv chaa hai nhi taa hai nhi mera hai.
Chidiyaan kaa rein bsaa hai .
Apna apne karmn ke vsh koee jaavt hai koe aayaa hai ॥ 1 ॥
Ghr mandir maal khjaanaa hai . do din kaa yhaan theraanaa hai .
Fir aakhir tujhko jaanaa hai .
Kr apne karse shubh kaarj jo prlok shaayaa hai ॥ 2 ॥
Chehre ki sundrtaaee hai thode dinki rusnaai hai .
Fir khaak mein khaak milaaee hai .
Dindin chhijt yh kaayaa hai ॥ 3 ॥
Yh jhuthaa sb snsaaraa hai maayaa ne jaal psaaraa hai .
Kyon bhulaa firt gavaaraa hai .
Bramhaannd rupbin jaane janm marn bhatkaayaa hai ॥
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