हौले हौले प्रीत तेरे नाल ला लई
नाम प्रभु का दिल में बसा
अंतर मेरे खूब रमा
धीरे धीरे प्रीत मैं सच्ची पा लई (1)
माया का खेल देखो
जी कैसा लगा
देह मैं नहीं पर देखो देह मैं लगा
धीरे धीरे अकल मैं सच्ची पा लई (2)
सतचित्त आनंद रूप मेरा जी रूप मेरा
अपना पता जी आज लगा जी आज लगा
सत्गुरु से सच्चा ज्ञान मिला जी ज्ञान मिला
धीरे धीरे समझ मैं सच्ची पा लई (3)
हौले हौले प्रीत तेरे नाल ला लई
Haule Haule Preet Tere Naal La Lai
हौले हौले प्रीत तेरे नाल ला लई | आनन्दमूर्ति गुरुमाँ